अरे कहिए ! नमस्कार मित्र !
मिले कई बरस बाद मित्र
वाह ! आप मय कार, और
तन का गोलक आकार मित्र
जीपों पर लदे समर्थक ये
करते हैं जय-जयकार मित्र
गठे बदन के अनुयायी
खोंसे कितने हथियार मित्र
एक काम छोटा-सा है
सोचा बोलूँ कई बार मित्र
उसको साले को उठवा लें
होगा मुझ पर उपकार मित्र
– पद्मनाभ तिवारी
This One is Great... lets dedicate to sanju dada
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