सर्वाधिकार एवं कॉपीराइट लेखकाधीन. किन्हीं व्यक्ति, स्थान व स्थितियों से कोई साम्य पूर्णतः सांयोगिक है. यह ब्लॉग सिर्फ़ साहित्यिक आस्वाद के लिए है, और इसका अन्य कोई उद्देश्य नहीं है.
Monday, March 8, 2010
कविता ५
जो युवा हैं वे उतने जीवित नहीं हैं जो वृद्ध हैं वे उतने मृत नहीं हैं जो मृत हैं वे उतने अनुपस्थित नहीं हैं जो भविष्य हैं वे उतने असंगत नहीं हैं जो वर्तमान हैं वे उतने महत्त्वपूर्ण नहीं हैं
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