Sunday, March 7, 2010

कविता ४

उम्र नहीं
ज़िन्दगी
आदमी को बूढ़ा बनाती है

– पद्मनाभ तिवारी

कविता ३

और
जहाँ तुम खड़ी थीं
ज़मीन अब भी मुलायम है

– पद्मनाभ तिवारी