Tuesday, December 10, 2013

१० दिसम्बर , २०१३

तट पर
बारिश में भीगते हुए
नर्मदा को देखता हूँ

भीतर
बाहर
तरल है
सरल है 

–        पद्मनाभ तिवारी
सितम्बर, २०१३

झीने बादलों में से
आकाश दिखता है
अनन्त अनाकार अशेष
फिर भी दिखता है

–        पद्मनाभ तिवारी