शिकार पर झपटने
के पहले की ख़ामोशी
और शिकार के बाद
का सन्नाटा
एक नहीं हैं
- पद्मनाभ तिवारी
सर्वाधिकार एवं कॉपीराइट लेखकाधीन. किन्हीं व्यक्ति, स्थान व स्थितियों से कोई साम्य पूर्णतः सांयोगिक है. यह ब्लॉग सिर्फ़ साहित्यिक आस्वाद के लिए है, और इसका अन्य कोई उद्देश्य नहीं है.
Sunday, August 15, 2010
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