Sunday, August 15, 2010

जब मेरा शरीर निस्पंद पड़ा होगा
और मैं उसे देख रहा होऊँगा

जब करने को कुछ नहीं
और चाहने को बहुत कुछ बचा होगा

तब, वह क्षण कैसे ख़त्म होगा


- पद्मनाभ तिवारी

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