Tuesday, July 13, 2010

भोपाल गैस विभीषिका का सार-संक्षेप कवि राजेन्द्र अनुरागी की ये पंक्तियाँ बयाँ करती हैं -

कहीं ये आज़माइश तो नहीं थी इस ज़हर के लिए,
कि कितनी गैस काफी होती है एक शहर के लिए.

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