Sunday, February 21, 2010

अचानक मुलाकात

अरे कहिए ! नमस्कार मित्र !
मिले कई बरस बाद मित्र

वाह ! आप मय कार, और
तन का गोलक आकार मित्र

जीपों पर लदे समर्थक ये
करते हैं जय-जयकार मित्र

गठे बदन के अनुयायी
खोंसे कितने हथियार मित्र

एक काम छोटा-सा है
सोचा बोलूँ कई बार मित्र

उसको साले को उठवा लें
होगा मुझ पर उपकार मित्र

– पद्मनाभ तिवारी

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